बकरी पालन योजना अंतर्गत बकरी पालन पर सब्सिडी के लिए आवेदन करें?

Bakri Palan योजना अंतर्गत उन सभी किसानों को एवं उन सभी व्यवसायको को लोन दिया जाता है, जो बकरी पोषण करना चाहते हैं। इस योजना के तहत विभिन्न बैंकों द्वारा लोन मुहैया कराया जाता है एवं उन लोन के ऊपर सरकार द्वारा सब्सिडी प्रदान की जाती है। जो भी व्यक्ति अपना स्वरोजगार चाहते हैं, या बकरी पालन करके अपना खुद के सपनों को पूरा करना चाहते हैं, तो यह योजना उसके लिए वरदान साबित होगी। बकरी पालन करने से विभिन्न प्रकार के आय का स्रोत खुल जाता है, जैसे कि Bakri Palan से दूध की उत्‍पादन, चमरा और फाइबर का प्रमुख स्रोत है। सरकार के द्वारा बकरी पालन को बढ़ा़वा देने के लिए सभी उद्यमियों को कई योजनाओं एवं बैंकों द्वारा प्राप्त लोन पर सब्सिडी देना शुरू कर दिया है।

अगर आपको बकरी पालन करने के लिए लोन की आवश्यकता है और आपको समझ नहीं आ रहा है कि आप कैसे इस योजना का लाभ ले सकते हैं, तो आप बिल्कुल निराश मत होइए क्योंकि आप सही आर्टिकल तक पहुंच चुके हैं।

मैं पिछले 10 वर्षों से सरकारी कर्मचारी के रूप में एक कार्यालय में कार्यरत हूं, मेरे द्वारा विभिन्न योजनाओं का कार्य किया जाता है, इसलिए मुझे Bakri Palan Loan योजना के बारे में अच्छे से जानकारी है। इस आर्टिकल को अगर आप ध्यान से पढ़ कर फॉलो करेंगे तो अंत में आपको Bakri Palan Loan योजना के बारे में संपूर्ण जानकारी आप प्राप्त कर चुके होंगे। आगे आपको इस योजना के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की जाएगी कृपया ध्यानपूर्वक पढ़ें।

Bakri Palan योजना के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें?

Bakri Palan करने के लिए देश के सबसे अच्छे एवं पशु प्रबंधन विभागों में से एक राजस्व की अपार संभावना के लिए जाना जाता है, यह लंबे समय तक आमदनी के स्रोत को देने में सक्षम है। जैसा कि ऊपर में मैंने बता दिया है कि अगर आप किसान हैं तो आपके लिए Bakri Palan करना बहुत ही आसान कार्य हो जाता है। अगर आप व्यवसायिक है और Bakri Palan करके व्यवसाय करना चाहते हैं तो आपके लिए भी कोई मुश्किल कार्य नहीं है, बस आपको इसके बारे में सही जानकारी, पालन करने की विधि पता होनी चाहिए तो आप इस कार्य को अच्छे से कर पाएंगे और इससे आमदनी बढ़ा पाएंगे।

Bakri Palan किसके लिए अच्छा है?

Bakri Palan एक ऐसा रोजगार है जो किसान के लिए आसान कार्य हो जाता है, क्योंकि किसान को अपने खेतों में काम करना पड़ता है। जिससे घास एवं इत्यादि की व्यवस्था अपने आप हो जाती है। कृषक के पास पशुओं को पालने के लिए अनुभव भी होती है, जिससे कि वह किसी प्रकार के भी कठिनाइयों का सामना आसानी से कर सकते हैं।

अगर आप युवा है तो आप भी इस कार्य को करने में सक्षम हो सकते हैं, इसमें मुख्यता बकरी पालन से संबंधित जानकारी आपको और लेनी होगी, जिससे कि Bakri Palan में आपको कोई कठिनाइयां ना हो। आपको पशु पालने की एक प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी, जिससे किस तरह से बकरी को रखा जाता है। उसे किस तरह से चारा खिलाया जाता है, चारे का क्या प्रकार है एवं विशेष परिस्थिति में पशु को कैसे रखा जाता है। इन सारी बातों को जानना आपके लिए बहुत ही आवश्यक है।

Bakri Palan ग्रामीण क्षेत्रों एवं शहरी क्षेत्रों अर्थात दोनों क्षेत्रों में किया जा सकता है यह युवा वर्ग तथा किसी भी वर्ग के लिए स्वरोजगार पाने का एक बहुत ही सुनहरा मौका है। इस योजना का लाभ उठाकर युवा एवं सभी वर्गों के लोग आसानी से अपना जीवन यापन कर सकते हैं।

बकरी पालन सेड कैसे बनाएं?

जैसा कि हम सबको पता है कि बकरी अलग-अलग नस्ल के होते हैं, अलग-अलग नस्ल होने के कारण सभी की आवश्यकता अलग-अलग होती है। तो आइए जानते हैं क्या कैसे बकरी पालन करने के लिए शेड बनाएंगे।
  • सामान्य तौर पर किसी भी नस्ल के बकरी के लिए कम से कम 18 से 25 स्क्वायर फीट रहने की जगह की आवश्यकता होती है।
  • जिसमें की बकरी के छोटे बच्चे के लिए आप 4 से 6 स्क्वायर फीट में रहने की जगह बना सकते हैं। साथ 6 से 12 माह के बच्चे के लिए 12 से 18 स्क्वायर फीट की आवश्यकता होती है, क्योंकि उन्हें घूमना, फिरना, खेलना, कूदना भी रहता है।
  • Bakri Palan सेड बनाने के लिए अगर हम निष्कर्ष निकालें तो लगभग 20 बकरी पालने के लिए 400 से 420 स्क्वायर फीट तक की जगह की आवश्यकता होती है तभी आप एक अच्छे नस्ल की बकरी को पाल सकते हैं।
  • एक बात का आपको खास ध्यान रखना होगा कि आजकल जंगली जानवर बहुत से घूमते रहते हैं, इस बात का ख्याल रखते हुए इसकी पुष्टि करेंगे, कि आप जो बकरी पालन करने के लिए घर का निर्माण कर रहे हैं। वह जानवर से सुरक्षा करने में पर्याप्त है एवं छोटे बच्चे की सुरक्षा की भी अत्यंत आवश्यकता है।

बकरी के नस्‍लों का प्रकार?

epashupalan.com वेबसाईट पर प्रकाशित एक आर्टिकल के अनुसार भारत में जलवायु एवं मौसम प्रत्‍येक स्‍थानों का अलग-अलग है, स्‍थान एवं मौसम के आधार पर बकरियों का नस्‍ल अलग-अलग है। भारत में बकरियों के नस्‍ल को जानने से पहले आपकों बता दें कि बकरियों के स्‍थानों चार भागों में बांटा गया है। इस आर्टिकल में हम जानेगें कि जलवायु एवं मौसम के आधार पर बकरी का नस्‍ल निम्‍न प्रकार है:
  1. उत्तरी ठंडक क्षेत्र
  2. उत्तर-पश्चिम शुष्‍क क्षेत्र
  3. अर्द्ध शुष्‍क क्षेत्र
  4. दक्षिणी क्षेत्र
  5. पूर्वोत्तर क्षेत्र

उत्तरी ठंडक क्षेत्र में पाये जाने वाली बकरियों की नस्‍ल?

गद्दी (Gaddi) नस्‍ल की बकरियाँँ?

Gaddi_Bakri


गद्दी नस्‍ल की नर बकरियों का वजन लगभग 20 से 30 KG औसत 28KG होता हैं एव मादा बकरियों का वजन लगभग 15KG से 28KG औसत 22KG का होता है। इस नस्‍ल की बकरियों के बालों से रस्‍सी, कंबल आदि बनाये जाते हैं। गद्दी नस्‍ल की मादा बकरी अपने दुग्‍धकाल में लगभग 50KG दुध का उत्‍पादन करती है, साथ ही गद्दी नस्‍ल की बकरियाें का अच्‍छें मांस के लिए भी प्रचलित है।

चांगथॉंगी (Changthongi) नस्‍ल की बकरियॉं?

चांगथॉंगी नस्‍ल की बकरियांं ठंडे क्षेत्रों में पाये जाने नस्‍ल की वजन लगभग 20 से 25 KG औसत 22KG होता हैं। चांगथॉंगी नस्‍ल की बकरियों के बालों से मुलायम रस्‍सी, पश्‍मीना तथा बोझा ढोने के प्रमुख कार्य में आते हैं, चांगथॉंगी नस्‍ल की मादा Bakri Palanअधिक मांस उत्‍पादन के किया जाता है।

चेगू (Chegu) नस्‍ल की बकरियाँँ?

Chegu_Bakri


चेगू नस्‍ल की नर बकरियों का वजन लगभग 30 से 45 KG औसत 35KG होता हैं एव मादा बकरियों का वजन लगभग 20KG से 30KG औसत 25KG का होता है। इस नस्‍ल की बकरियों के बालों से रस्‍सी, रेशा आदि बनाये जाते हैं। चेगू नस्‍ल की मादा बकरी से थोड़ाा दुध का उत्‍पादन हो जाती है, साथ ही गद्दी नस्‍ल की बकरियाें का मांस के लिए भी पालन किया जाता है।

उत्तर पश्चिमी शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्र में पाए जाने वाली बकरियों के नस्ल।

उत्तर पश्चिमी शुष्क एवं अर्ध शुष्क क्षेत्र में खेती के लिए जमीन एवं झाड़ियों चेहरा के लिए वृक्ष एवं था होने के कारण बहुत ही बेहतरीन वातावरण हो जाता है बकरियों के पालन के लिए जिसमें की प्रमुख नस्ल के बकरियों को पालन करने के लिए आप देख सकते हैं जो निम्नलिखित हैं। 

सिरोही (Sirohi) नस्ल की बकरियां?

Sirohi_Bakri
सिरोही नस्ल के नर बकरी का वजन 35 से 50 किलोग्राम औसत वजन 42 किलोग्राम होता है, वही मादा बकरियों का वजन 30 से 40 किलोग्राम औसत वजन 35 किलोग्राम का होता है। सिरोही नस्ल की बकरियां अपने दूधकाल में लगभग 80 किलोग्राम तक दूध उत्पादन कर देती है एवं सिरोही नस्ल के बकरे एवं बकरियों के मांस के लिए इसका पालन किया जाता है।

मारवाड़ी नस्ल की बकरियां?

मारवाड़ी नस्ल की बकरियां सामान्य तौर पर अपने दूध काल में लगभग 85 किलोग्राम तक दूध का उत्‍पादन करता है एवं मारवाड़ी नस्ल की बकरियां का पालन अधिक मांस के लिए भी किया जाता है। अगर आपको इस Bakri Palan करना है तो कोई दिक्कत नहीं है, बस इसके अनुकूल क्षेत्रों में ही इसका पालन करें तो आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।

जखराना (Jakhrana) नस्ल की बकरियां?

Jakhrana_Bakri


जखराना नस्ल की बकरियां का औसतन वजन नर का 56 किलोग्राम एवं मादा बकरी का औसतन वजन 45 किलोग्राम का होता है। मारवाड़ी नस्ल की बकरियां अपने दूध के उत्पादन एवं अच्छे किस्म के मांस के लिए जाने जाती है, इस नस्ल की बकरियां अपने दूधकाल में लगभग 155 किलोग्राम दूध का उत्पादन करती है। इसलिए इस नस्ल की बकरियों के बच्चे हष्ट पुष्ट एवं स्वस्थ और वजनदार होने के साथ-साथ मजबूत भी होते है। अगर आप जखराना नस्ल की बकरियों का पालन करना चाहते हैं तो आप इन बकरी के अनुकूल वातावरण के अनुसार ही कर पाएंगे।

बीटल (Beetal) नस्ल की बकरियां?

बीटल नस्ल की बकरियों का प्रचलन पंजाब के अलग-अलग क्षेत्रों में जैसे कि पंजाब के गुरदासपुर, अमृतसर एवं फिरोजाबाद के इलाकों में पाई जाती है। बीटल नस्‍ल की नर बकरियों का वजन औसतन 57 किलोग्राम तथा मादा बकरी का वजन लगभग 45 किलो औसतन वजन होता है। बीटल नस्ल की बकरियां सिर्फ और सिर्फ दूध उत्पादन के लिए प्रचलित है। यह अपने दूध काल में 150 से 200 किलोग्राम तक दूध का उत्पादन करती है। अगर आप दूध के लिए बकरी पालन करना चाहते हैं तो बीटल नस्ल की बकरियां आपके लिए अच्छी साबित हो सकती है।

बारबरी (Barbari) नस्ल की बकरियां?

Barbari_Bakri


बारबरी नस्‍ल की बकरियों राजस्‍थान के भरतपुर तथा उत्तर प्रदेश के हाथरस एवं आगरा जैसे क्षेत्रों में पाया जाता है, बारबरी नस्‍ल की नर बकरी का वजन औसतन लगभग 36 किलोग्राम होता है वहीं मादा बकरी की वजन औसतन लगभग 21 किलोग्राम होता है। बारबरी नस्‍ल की बकरियों का पालन मुख्‍य तौर पर दूध के लिए किया जाता है, इस नस्‍ल की बकरी का दूध बहुत की कार्य में लिया जाता है। अगर आप बारबरी नस्‍ल की बकरी पालन करना चाहते हैं तो इस बकरी के अनुकुल वातावरण की व्‍यवस्‍था करना होगा।
इसके आलावे उत्तर-पश्चिमी शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्र में पाए बकरियों का नस्‍ल निचे है जो अपने दुधकाल में 200 किलोग्राम से 350 किलोग्राम तक दुध का उत्‍पादन करता है जिन्‍हें आप बकरी पालन लोन योजना अंतर्गत लाभ ले सकता है।
  • जमुनापारी (Jamunapari)
  • मेहसाणा (Mehsana)
  • सुरती (Surti)
  • कच्‍छी (Katchi)
  • झालावाड़ी (Zalawadi)
Jamunapari_Bakri


उपर दिये गये नस्‍लों की बकरी पालन के लिए अगर आपके क्षेत्र के वातावरण अनुकुल है तो उपरोक्‍त बकरी के नस्‍लों को पालकर आप एक स्‍वरोजगार एवं व्‍यवसाय कर सकते है।

दक्षिणी क्षेत्र।

दक्षिणी क्षेत्र अंतर्गत आले वाले क्षेत्र केरल, कर्नाटक, महाराष्‍ट्र, आंध्र प्रदेष एवं तालिनाडु जैसे राज्‍यों विभिन्‍न स्‍थान आते है, यह अर्ध शुष्‍क यानि के थोड़े गर्म इलाके में आता है।

संगमनेरी (Sangamneri) नस्‍ल की बकरियां?

संगमनेरी नस्ल की बकरियां महाराष्ट्र के पुणे जैसे शहरों में पाई जाती है संगमनेरी नस्ल की नर बकरी का औसतन वजन 40 किलोग्राम तथा माता बकरी का वजन औसतन 32 किलोग्राम होता है। संगमनेरी नस्ल की बकरियां अपने दूध काल में लगभग 70 किलोग्राम तक दूध देती है तथा इन बकरियों के मांस के उत्पादन के लिए भी बकरी पालन किया जाता है। संगमनेरी नस्ल बकरियों की पहचान कान मध्यम आकार के नीचे लटके हुए तथा सींग मुड़े हुए होते हैं जिनसे आप आसानी से पहचान सकते हैं।

मालाबारी (Malabari) नस्‍ल की बकरियां?

Malabari_Bakri


मालाबारी नस्ल की बकरियां केरल के राज्य में पाया जाता है इस बकरी का रंग ज्यादातर सफेद होता है काला और सफेद के मिश्रण में भी मिलता है, मालाबारी नस्ल  की नर बकरी का वजन औसतन 40 किलोग्राम तथा मादा बकरी का वजन औसतन 31 किलोग्राम वजन होता है। इस बकरी का पालन अधिकतर मांस के लिए तथा अच्छे दूध के लिए करते हैं तथा इन बकरी का पालन इसके वातावरण के अनुकूल नहीं किया जा सकता है।

उस्‍मानाबादी (Usmanabadi) नस्‍ल की बकरियां?

उस्‍मानाबादी नस्‍ल की बकरियां महाराष्ट्र के उस्मानाबाद, सोलापुर और अहमदनगर के इलाकों में पाई जाती है। उस्मानाबादी नस्ल की बकरियों के काम मध्यम आकार के होते हैं, इनके बकरों के सींग पाए जाते हैं, लेकिन बकरियों को 50% संख्या में सींग नहीं होती है। वही उस्मानाबादी नस्‍ल के नर बकरियों का औसतन वजन की बात करें तो 35 किलोग्राम तथा मादा बकरियों का औसतन वजन 33 किलोग्राम होता है। उस्मानाबादी नस्ल की बकरी पालन ज्यादातर मांस तथा दूध के लिए किया जाता है यह बकरी अपने दूध काल में 40 से 80 कि किलोग्राम तक दूध दे देती है।

पूर्वात्तर क्षेत्र।

पूर्वोत्तर क्षेत्र में बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा असम एवं देश के अन्य उत्तर पूर्वी राज्य आते हैं, इस इलाके में नमी अधिक रहने के कारण अच्छी घास, झाड़ी तथा अच्‍छी वातावरण रहती है। यह इलाका कुछ स्थानों को छोड़कर ज्यादातर कर और नवीन वाले होते हैं, जिसे की बकरियों की ज्यादातर नस्लें नहीं है पूर्वोत्तर क्षेत्र में बकरियों की गिनी-चुनी नस्लें पाई जाती है।

गंजाम (Ganjam) नस्‍ल की बकरियां?

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गंजाम नस्‍ल की बकरियों उड़ीसा के समुद्री तट वाले दक्षिणी क्षेत्र में पाई जाती है, गंजाम नस्ल की बकरियां जनजाति लोगों में अधिकतर पालन किया जाता है। गंजाम नस्ल की बकरियों का रंग काला एवं गोरा होता है। इस नस्‍ल की नर बकरियों का औसत वजन 36 किलोग्राम तथा मादा बकरियों का औसत वजन 30 किलोग्राम होता है।

बकरी पालन लोन की प्रक्रिया। 

अगर आप बेरोजगार हैं या आपके साथ हैं और बकरी पालन करते हैं और आप बैंक से लोन लेना चाहते हैं, उसी बकरी के ऊपर तो कुछ महत्वपूर्ण बातों का जानकारी रखना होगा। जैसे कि बकरी पालन व्यवसाय के रूप में करना होगा तथा इससे निकलने वाले दूध, चमड़ा और  फाइबर के प्रमुख स्रोत को व्यवसायिक तौर तरीकों से व्यापार करना होगा एवं बकरी पालन करने की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही किस तरह से अपनी स्वरोजगार को चलाते हैं उसके रखरखाव  कैसे हैं एवं उनमें कितना खर्च आता है, इन सभी बातों को बैंक सावधानीपूर्वक जांच करता है उसके उपरांत ही लोन प्रदान करता है। 

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लोन लेने के लिए आवश्‍यक दस्‍तावेज।  

  • भारत के नागरिक होना आवश्‍यक है।

  • आवासीय प्रमाण-पत्र 

  • जाति प्रमाण-पत्र 

  • बैंक खाता 

  • आधार कार्ड 

  • पहचान पत्र 

  • फोटो 

  • आवेदन पत्र 

  • जिस जमीन पर बकरी पालन किया जा  रहा है उसका रसीद 

  • बकरी का नस्‍ल 

  • बकरी से संबंधित विवरणी 

  • आवेदक का स्‍व-घोषण पत्र

आगे की प्रक्रिया के लिए बकरी पालन योजना का आवेदन फॉर्म भरकर अपने प्रखण्‍ड कार्यालय में जाकर कृषि विभाग में जमा कर करें।



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